Monday, October 11, 2021

कविता-27 : विमल चन्द्र पाण्डेय की अवसाद सीरीज़ की कविताएँ

अवसाद सीरीज़ की कविताएँ अपने समय में मनुष्य के भीतरी और बाहरी संघर्षों और इनसे नाभिनालबद्ध तनावों का एक जीवंत और प्रामाणिक दस्तावेज हैं । कविताएँ 12 हिस्सों में फैली हुई हैं जिनसे गुज़रना इस दौर के एक किरदार से रू-ब-रू होना भी है ।
विमल की ये कविताएँ ऐसी हैं कि जैसे कन्फेशन बॉक्स में खड़ा होकर कोई अपने सारे दोष स्वीकार कर रहा हो और किसी अदृश्य के सामने अपने सारे दुःख, सारी परेशानियाँ बयान कर रहा हो । यह भी सच है कि ये कविताएँ आत्म-साक्षात्कार की कविताएँ भी हैं, जैसे आईने के सामने खड़ा होकर कोई साफ़-दिल आदमी खुद से बातें कर रहा हो और बड़े ही बेतकल्लुफ़ अंदाज़ में खुद से मुखातिब हो ।
आत्म-साक्षात्कार से होता हुआ कवि आत्मालोचना तक की यात्रा करता दिखाई देता है । अपने दोष और अपनी त्रुटियाँ स्वीकारने वाला हृदय निर्मल ही होता है । यह कवि बड़ी मासूमियत के साथ यह बात कह जाता है कि-
"मैंने झूठ को सच बना कर बोला
कई जगह जहाँ बोलना था नहीं बोला
मैंने एड़ियां उचका कर दूसरों के घरों में देखा
अफ़सोस इस बात का नहीं है
अफ़सोस अक्सर इसपर घेरता है
ऊँचा उठ कर भी मैं इतना ही कर पाया !"



1.
मेरी ज़िंदगी उस मीठे पान की तरह हो गयी है
जिसमें पनवाड़ी गलती से किमाम डालना भूल गया है
बनारस में रमने के बावजूद मैं तम्बाकू वाला पान नहीं खाता
इससे आप मेरे शरीर मे तम्बाकू की मात्रा को लेकर कोई गलतफहमी न पालियेगा
मैं जल्दबाज़ी में हाथ मिलाने की जगह आपके कंधे पर हाथ रख दूं
तो इसको ईगो पर मत लीजिएगा
मैं परिचय वाले रास्ते पर तयशुदा चौराहों से नहीं मुड़ता
क्या ? आप मेरी बात समझ नहीं पा रहे ?
मैं कहना क्या चाहता हूँ ?
मुझे क्या पता !
आपने ही तो पूछा आजकल ज़िंदगी कैसी चल रही है

2.
मैं हिन्दू राष्ट्र जैसी कोई चीज़ नहीं चाहता
काफी लोग चाहते हैं
कुछ हैं जो नहीं चाहते लेकिन बन भी जाये तो कोई दिक्कत नहीं
मैं इस देश में इस जीवन में जो चाहता हूँ
वो मुझे मारने के लिये पर्याप्त है
मोटिवेशनल स्पीकर्स मुझे तिल-तिल तड़पा रहे हैं
चतुर्दिक बहती सूचनाएं मेरा ख़ून पीने लगी हैं
मुझे नये लोगों से मिलने की कोई इच्छा नहीं
पुरानों के फोन उठाना मैंने इतना पहले बंद कर दिया था
कि वे मरने वाले भी हों तो मुझे फोन नहीं करेंगे
फालतू चुटकुलों पर इतना गुस्सा आता है
कि दो गज दूरी से कम हुई तो मैं मुँह भी तोड़ सकता हूँ
कोई ढंग की बात नहीं कर सकतीं तो चुप बैठिए थोड़ी देर
या उठ कर जहन्नुम में चली जाइये
मैं थोड़ी देर अकेले में शांत बैठना चाहता हूँ
पर मुश्किल है !
अकेले में मुझे घबराहट होने लगती है

3.
जहाँ बैठ जाता हूँ थोड़ी देर
वहाँ लेटने की कोई जगह बना ही लेता हूँ
लेटता हूँ जहाँ वही मेरा घर बन जाता है
घर मतलब जहां लेट कर मैं सोचता हूँ
कि मैं ऐसा क्यों हूँ
और ये भी कि अब जैसा हूँ वैसा ही रहूंगा
गलत बातों पर ज़िद करने लगता हूँ
बात कटने पर गला कटने जितना दर्द होने लगा है
सिम्पैथी दिखाने वाले के ड्रिंक में ज़हर मिला देने की इच्छा होती है
जैसा आपने बताया कि मेरी ज़्यादातर प्रॉब्लम्स में मेरे बचपन का हाथ है
तो बताइए ऐसा इसलिए तो नहीं हो रहा कि मैं बचपन में
विज्ञान के पेपर के पहली रात अंग्रेज़ी पढ़ने लगता था
अंग्रेज़ी वाले पेपर के पहले मुझे अचानक हिंदी पढ़ने का मन होता था

4.
मेरा पसंदीदा रंग काला है और ये बहुत पहले से है
हर बात का मेरी मौजूदा हालत से कोई सम्बन्ध हो ज़रूरी तो नहीं
कपड़े तो छोड़िए मुझे सैमुअल जैक्सन और मॉर्गन फ्रीमैन डिनिरो और कैप्रियो से ज़्यादा पसंद हैं
मेरी ज़िंदगी में कोई गोरी लड़की कभी नहीं आयी
मैंने आने ही नहीं दिया
मेरे पास चार काली कमीजें हैं
आप फ़ालतू की ज़िद करेंगी तो मैं एकजाम्पल देना जारी रखूंगा
हां, मुझे गुस्सा जल्दी आने लगा है और मैंने कल आपका बताया मेडिटेशन नहीं किया
हाँ मैं ग्रैटिट्यूट प्रेक्टिस भी कर रहा हूँ और सॉरी बोलने का अभ्यास भी।
थोड़ी देर पहले आपको जहन्नुम जाने के लिए कहा था उसके लिए सॉरी
मत जाइयेगा वहाँ, अच्छी जगह नहीं है
मैं आजकल वहीं रहता हूँ

5.
कल पत्नी से बात करता हुआ अचानक रो पड़ा
इतनी जल्दी रुलाई आने लगी है कि शर्मिंदा होना पड़ता है
रोने पर शर्मिंदा होने का चलन कैसे चला क्या पता
उसने कहा कि ये बात आपको ज़रूर बताऊँ
मुझे क्या-क्या परेशान करता है मत पूछिये
क्या खुश करता है बताना ज़्यादा आसान होगा
मैं लौंगलत्ते को पूरा नहीं खा पाता लेकिन उसके खोये वाले हिस्से तक पहुंचने में मुझे खुशी होती है
आलू के पराठे में अचानक दांत के नीचे हरी मिर्च मुझे आश्चर्यजनक खुशी देती है
और ज़ाहिर है बाकी लोग जिनसे खुश होते हैं
पैसे रुपये वगैरह
वो भी मुझे चाहिए ही !

6.
अपने आसपास ज़्यादा खिलखिला कर हँसता इंसान
मुझे अंदर से उदास लगने लगा है
लेकिन मैं उसे छेड़ना नहीं चाहता
मैं चाहता हूँ मैं मान लूँ कि इस बेरहम वक़्त की चाबुक
सिर्फ़ मेरी पीठ पर पड़ रही है
बाकी दुनिया में सब कुछ पहले जैसा है
सब वैसे ही बेबाक कहकहे लगाते हैं जैसे पहले मैं लगाता था
मेरी कहानियों की एक प्रशंसिका ने आज इनबॉक्स में कहा
बहुत दिनों से मैंने अपनी कोई हँसती हुई तस्वीर नहीं लगाई
इस बात से मैं देर तक हँसता रहा
हँसते हुए मैंने अपनी कोई तस्वीर नहीं खींची

7.
दुनिया एक नए रंग में दिखाई दे रही है
न किसी दोस्त से मिलने की इच्छा है न किसी दुश्मन से बदला लेने की
न कोई पसंदीदा पकवान मन में उत्साह दे रहा
न कोई अच्छी फ़िल्म
ओह ! मैं अपनी बातें दोहरा रहा हूँ ?
माफ़ कीजियेगा इसीलिए मैंने लिखना भी बंद कर दिया
जो लोग लगातार दोहराई जा चुकी ऊबन भरी कहानियां लिख रहे हैं
उन्हें तौफ़ीक़ मिले
मुझे स्वदेश दीपक के बाद से हिंदी में कोई ओरिजिनल लेखक नहीं मिला
वो जहाँ हैं वहीं मुझे भी जाने की इच्छा है
वो मुझसे मेरी कहानियों की बाबत पूछेंगे तो मैं कहूंगा
आई बर्न्ट देम !

8.
मुझे आजकल बहुत सारे मर चुके लोग याद आते हैं
मेरी मौसी जो मेरी माँ से छोटी थीं
जिन्हें मैंने उनकी मौत के महीनों बाद
गर्मी की एक रात छत पे देखा था
मेरे छोटे मामा जो मुझसे सिर्फ़ छह सात साल बड़े थे
और भूसे में गोते गये मेरे आम निकाल कर खा जाते थे
उन्होंने जब आत्महत्या की, मैं बीएससी फर्स्ट ईयर में था
एनईआर में क्रिकेट खेल कर सुबह सुबह घर लौटा था
तब से जब भी मन का मौसम ख़राब होता है
आत्महत्या के सबसे उम्दा ख़याल सुबह सुबह आते हैं
सुबह की मौत को लेकर बहुत रूमानी हूँ
अपनी फ़िल्म में हीरो की हत्या मैंने सुबह सुबह लिखी है !

9.
'कौन तुझे यूं प्यार करेगा जैसे मैं करती हूँ'
उसने मुझे बाहों में भर के अपना पसंदीदा गीत शुरू किया
वो मुझसे प्यार जताने के लिए अक्सर ऐसा करती है
लेकिन आपसे बता रहा हूँ मैं इस गीत से बुरी तरह डर गया
आप इसको भी मेरे दिमाग़ की खुराफ़ात कहेंगी लेकिन ख़ुद सोचिए
मुझे लगता है मेरे आसपास हर चीज़ मुझे मौत की ओर धकेल रही है
इस गीत के बाद इस फ़िल्म की हिरोइन मर जाती है
इस फ़िल्म के बाद इस फ़िल्म का हीरो आत्महत्या कर लेता है !

10.
हां ! आप मेरी असुरक्षाओं के बारे में बात कर सकती हैं
शाहरुख खान का सबसे बड़ा डर एक इंटरव्यू में सुना था
कि उनके हाथ कट जाएंगे
मुझे बचपन से हर बात चुनौती बाद में डर पहले लगी
साईकल चलाने वाले दिनों में
मुझे लगता था मुझे कभी बाइक चलाना नहीं आएगा
पत्रकारिता करते हुए डरता था कि कभी हिंदी टाइपिंग नहीं सीख पाऊंगा
कहानियाँ शुरू करते डरता था कि मैं कभी उपन्यास नहीं लिख सकता
शादी करने से पहले डरता था मैं बच्चे पैदा नहीं कर सकता
अब बच्चे के साथ खेलते मुझे हर पल डर लगने लगा है
मैं उसे बड़ा होता नहीं देख पाऊंगा

11.
मुझे दोस्तों की सफलताओं से चिढ़ होने लगी है
आसपास की उपलब्धियों से घबराहट
मैं अब किसी को उसकी सफलता पर बधाई नहीं देना चाहता
न मैं खुद कहीं कभी सफल होना चाहता हूँ
मैं अव्वल तो किसी से अपनी बात कहने का इच्छुक नहीं
कह भी दूँ तो सामने से कोई जवाब नहीं चाहता
मैं दोस्तों के इस फ़लसफ़े पर उन्हें बद्दुआ देना चाहता हूँ
कि मुझे ऐसी हालत में दोस्तों से बहुत बातें करनी चाहिये
इस समय मेरी सबसे अच्छी दोस्त मेरे कमरे की दीवार है
दीवारों को मैं एक नये नज़रिये से देखने लगा हूँ

12.
मैंने धोखे खूब खाये
अफ़सोस इस बात का नहीं है
अफ़सोस अक्सर इसपर घेरता है
मैंने कुछ धोखे दिये भी
मुझसे किसी ने झूठ बोला तो बोला हो
मैंने झूठ को सच बना कर बोला
कई जगह जहाँ बोलना था नहीं बोला
मैंने एड़ियां उचका कर दूसरों के घरों में देखा
अफ़सोस इस बात का नहीं है
अफ़सोस अक्सर इसपर घेरता है
ऊँचा उठ कर भी मैं इतना ही कर पाया !

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